'माता एवं शिशु रहेंगे स्वस्थ तो घर में रहेंगी खुशियां'

-सदर अस्पातल की स्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रूपा ने गर्भवती व शिशु के देखभाल की बताई महत्ता

- महिला के भोजन में विविधता और नवजात के लिए मां के दूध को बताया सर्वोत्तम आहार    


लखीसराय, 18 सितम्बर।

“जन्म के एक घन्टे के अंदर शिशु को स्तनपान कराना जरूरी होता है। इससे शिशु में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। साथ ही शिशु के जन्म के छह महीने तक उसे केवल मां का दूध ही देना चाहिए। इस दौरान ऊपर से पानी भी शिशु को नहीं देना चाहिए। वहीं छह माह बाद बच्चों में शारीरिक एवं मानसिक विकास तेजी से शुरू हो जाता है। इसलिए बच्चे के छह माह होने के बाद स्तनपान के साथ-साथ उसे अर्ध ठोस आहार जैसे खिचड़ी, गाढ़ा दलिया, पका हुआ केला एवं मूंग का दाल दिन में तीन से चार बार देना शुरू कर देना चाहिए। साथ ही बच्चे को दो साल तक अनुपूरक आहार के साथ मां का दूध भी पिलाते रहना चाहिए, ताकि शिशु का पूर्ण शारीरिक एवं मानसिक विकास हो पाए।” उक्त बातें सदर अस्पातल, लखीसराय की स्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रूपा ने मातृ एवं शिशु के बेहतर स्वास्थ्य और पोषण के विषय में बोलते हुए कही। 


डॉक्टर रूपा ने बताया सदर अस्पताल के साथ जिले में संचालित स्वास्थ्य योजनाओं और कार्यक्रमों के तहत मातृ एवं शिशु देखभाल एवं पोषण पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने बताया माता एवं शिशु रहेंगे स्वस्थ तो घर में भी खुशियां रहेंगी। इसी को ध्यान में रखते हुये पोषण माह के दौरान विशेष रूप से इस ओर कार्य हुआ है। साथ ही बुधवार 16 सितम्बर से बच्चों की देखभाल तथा उनकी सेहत को लेकर परिजनों को जागरूक करने के लिए सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा भी चलाया जा रहा है। इससे भी माताओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य देखभाल और सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।


गर्भावस्था में बेहतर पोषण शिशु को रखता है स्वस्थ: 

डॉक्टर रूपा ने बताया कि बच्चा कुपोषण मुक्त हो इसके लिए गर्भवती के सेहत पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। गर्भावस्था के दौरान महिला को प्रतिदिन के भोजन के साथ आयरन और फॉलिक एसिड एवं केल्शियम की गोली लेना भी जरूरी है। एक गर्भवती महिला को अधिक से अधिक आहार सेवन में विविधता लानी चहिए। गर्भावस्था में बेहतर पोषण शिशु को भी स्वस्थ रखने में मदद करता है। गर्भावस्था के दौरान आयरन और फॉलिक एसिड के सेवन से महिला एनीमिया से सुरक्षित रहती है एवं इससे प्रसव के दौरान अत्यधिक रक्त स्त्राव से होने वाली जटिलताओं से भी बचा जा सकता है।


कैल्शियम युक्त भोजन जरूरी:

कैल्शियम का सेवन भी गर्भवती महिलाओं के लिए काफी जरूरी है। इससे गर्भस्थ शिशु के हड्डी का विकास पूर्ण रूप से हो पाता है एवं जन्म के बाद हड्डी संबंधित रोगों से शिशु का बचाव भी होता है। भोजन में कैल्शियम से भरपूर तत्व जैसे कि दूध, दही और अन्य डेयरी उत्पाद के साथ मछली, हरी पत्तेदार सब्जियां, बादाम, जूस, सोया और ब्रेड आदि शामिल कर सकते हैं।


जन्म के बाद पहले एक हजार दिन बच्चे के लिए महत्वपूर्ण:

डॉक्टर रूपा ने बताया कि गर्भावस्था और जन्म के बाद के पहले एक हजार दिन नवजात के शुरुआती जीवन की सबसे महत्वपूर्ण अवस्था होती है। इस दौरान मां के दूध के साथ उचित पोषण मिलने से बच्चों का शारीरिक एवं बोद्धिक विकास सतत जारी रहता है। यहां अनदेखी पर जीवन भर इसकी  भरपाई नहीं हो पाती है। शिशु के जन्म के बाद पहले वर्ष का पोषण बच्चों के मस्तिष्क और शरीर के स्वस्थ विकास और प्रतिरोधकता बढ़ाने में बुनियादी भूमिका निभाता हैं। वहीं शुरुआत के एक हजार दिनों में बेहतर पोषण सुनश्चित होने से मोटापा और जटिल रोगों से भी बच्चे का बचाया जा सकता है।

रिपोर्टर

  • Rashtriya Jagrookta (Admin)
    Rashtriya Jagrookta (Admin)

    The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News

    Rashtriya Jagrookta (Admin)

संबंधित पोस्ट