गर्भवती महिला में डेंगू के संक्रमण से होती है गर्भपात की संभावना

• भ्रूण को करता है प्रभावित, समय से पूर्व बच्चे का हो सकता है जन्म


• रोगी के खून में हो जाती है प्लेट्लेट्स की कमी, जा सकती है जान  


• मच्छर जनित रोगों में मलेरिया भी घातक, आता है तेज बुखार 


लखीसराय , 6 जुलाई: बरसात के मौसम में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के साथ मच्छर जनित रोगों की रोकथाम को लेकर भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा आवश्यक निर्देश दिए गये हैं. स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोरोना संक्रमण सहित  डेंगू, मलेरिया, कालाजार, चिकनगुनिया व जापानी बुखार जैसी मच्छर जनित रोगों के बारे जनजागरूकता बढाई जा रही है. इन बीमारियों की रोकथाम के लिए जिले के सभी अस्पतालों में आवश्यक तैयारी रखने के निर्देश सिविल सर्जन ने दिए हैं.  


आसपास की सफाई रख मच्छरों को पनपने से रोकें:


सिविल सर्जन डॉ आत्मानंद राय ने बताया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से रोग के लक्षणों की जानकारी लोगों को दी जा रही है. उन्होंने कहा है मच्छर जनित रोगों को लेकर बहुत अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है. अपने घर व आसपास की सफाई रखें. तेज बुखार की स्थिति को  नजरअंदाज नहीं करें. उन्होंने बताया मच्छर जनित रोग जैसे मलेरिया व डेंगू आदि में ठंड के साथ तेज बुखार आने के साथ मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द भी रहता है. डेंगू के कारण खून में मौजूद प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से कम होने लगती है. शरीर पर चकते या दाने उभर आते हैं. उन्होंने बताया मच्छरों से बचने के लिए रात में सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल अवश्य करें. अपने आसपास पनपने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए प्राथमिक स्तर पर घरेलू उपाय भी अपनायें. गर्भवती महिलाओं व नवजात शिशुओं की विशेष सुरक्षा व ध्यान रखने की जरूरत पर बल दिया है. 



गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक है डेंगू व मलेरिया: 


सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के मुताबिक गर्भवती महिलाओं में डेंगू व मलेरिया होना जच्चा बच्चा दोनों को खतरनाक है. मलेरिया परजीवी या डेंगू वायरस गर्भवती महिला के भ्रूण तक पहुंच कर उसे गंभीर रूप से प्रभावित करता है. इसके कारण गर्भपात, समय से पूर्व शिशु का जन्म, जन्म के समय कम वजन, जन्मजात संक्रमण या प्रसव के दौरान जच्चा बच्चा की मौत भी हो सकती है. गर्भवती महिलाओं के कमजोर इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता होने के कारण मच्छर जनित रोगों के होने वाले प्रभाव सामान्य महिलाओं की तुलना में तीन गुना अधिक होता है. सीडीसी ने गर्भवती महिलाओं को सलाह दी है कि वे मच्छरों के प्रकोप वाली जगहों पर जाने से बचें. अपने रहने वाली जगहों को साफ सुथरा रखें. रोग के लक्षण मिलने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें. गर्भवस्था के दौरान गर्भवती महिलाएं पूरी बाजू और पैरों को ढंकने वाले कपड़े पहनें व शरीर पर रेपेलेंट क्रीम का इस्तेमाल करें. 



इन जरूरी बातों का भी रखें ध्यान: 


• कई बार लोग मच्छरदानी न लगाकर गर्भवती महिलाओं या नवजात शिशु के रहने वाले कमरे में धुंआ, मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती आदि का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन इससे सांस में काफी मात्रा में कार्बन जाता है. धुंआ करना खतरनाक सांस के लिए खतरनाक है. 


• मच्छर अंधेरी व नमी वाली जगहों पर अधिक होते हैं. मच्छरों के प्रजनन रोकने के लिए कीटनाशक का इस्तेमाल किया जा सकता है. कमरों में कीटनाशक का छिड़काव कर कमरे को बंद कर बाहर निकल जाये. घर में कूलर आदि का पानी बदल दें. कमरे को अधिक से अधिक सूखा रखें

रिपोर्टर

  • Rashtriya Jagrookta (Admin)
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